"अपूर्ण कामना"


...........🌺🌺🌺..............
मैं न जाऊँगा जगत से
मृत्यु जब देगी निमंत्रण।

भूल अपने प्रियजनों को
स्नेहपूरित लोचनों को
छोड़ पाऊँगा नहीं मैं
सृष्टि का प्रत्येक कण-कण।

क्या मिलेगा मोक्ष पाकर ?
इस जगत से दूर जाकर
मैं न माँगूँ अपर जीवन
सौंप दो मुझको यही क्षण।

बोल दूँगा -'है अभी गति
ना हुयी है भाव की क्षति
आयु में अवनमन किंतु,
श्वास में है शेष हर्षण '।

मृत्यु मानेगी नहीं जब
क्या करूँगा हाय ! मैं तब
हार कर जाना पड़ेगा
'प्राण पर किसका नियंत्रण ' ?

मैं न जाऊँगा जगत से
मृत्यु जब देगी निमंत्रण।

©अनुकल्प तिवारी 'विक्षिप्तसाधक'
............🌺🌺🌺.............


टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना 👌👌😊

    जवाब देंहटाएं
  2. निशब्द हूँ भाई
    सींचता होगा आजीवन उपवन को तब कालांतर में पाता होगा तुम जैसा पुष्प

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

● रंभा-अवतरण ●

'आसान नहीं'

● विराट करुणा ●